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प्रधानाचार्य का संदेश:-

” सा विद्या या शास्ति,सा विद्या या विमुक्तये। “

अर्थात्, जो हमें अनुशासित करती है, वह विद्या है,जो हमें मुक्ति देती है वह विद्या है। स्पष्ट है कि शिक्षा अज्ञानतारूपी मरुस्थल में भी ज्ञान की गंगा बहाती है। शिक्षा व्यक्ति, समाज और राष्ट्र की प्रगति के लिए आवश्यक है। शिक्षा अंधेरे से उजाले की ओर ले जाती है। यह जीवन को प्रकाशमय करती है। मानवीयता की चेतना का संचार करती है ताकि मनुष्य स्वार्थ एवं ईर्ष्या की भावना से ऊपर उठकर विश्व बंधुत्व के उच्च आदर्शों पर काम कर सके। शिक्षा व्यक्ति को अपने अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति जागरुक बनाती है। समाज में व्याप्त अंधविश्वास, असमानता और गैर-बराबरी को दूर करने में सहायक साबित होती है।भारतीय धर्मग्रंथ एवं समाज सदैव से शिक्षा के महत्व को समझता रहा है तथा इसके उन्नयन के लिये प्रयत्नशील रहा है। गुरु महिमा के बखान को केवल इस चीज से समझा जा सकता है कि सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरुग्रंथसाहिब में भी वर्णित है- विद्या विचारी तां परोपकारी । इस्लाम के पवित्र धर्मग्रंथ क़ुरान शरीफ़ का पहला वाक्य है – ‘इक़रा’, अर्थात पढ़ो भी इसी तरफ इशारा करता है ।
उच्च शिक्षा (higher education) का अर्थ है सामान्य रूप से सबको दी जानेवाली शिक्षा से ऊपर किसी विशेष विषय या विषयों में विशेष, विशद तथा सूक्ष्म शिक्षा। यह शिक्षा के उस स्तर का नाम है जो विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक विश्वविद्यालयों, कम्युनिटी महाविद्यालयों, लिबरल आर्ट कालेजों एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों आदि के द्वारा दी जाती है। प्राथमिक एवं माध्यमिक के बाद यह शिक्षा का तृतीय स्तर है जो प्राय: ऐच्छिक (non-compulsory) होता है। इसके अन्तर्गत स्नातक, परास्नातक (postgraduate education) एवं व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण आदि आते हैं।
आरम्भ से ही महाविद्यालय का प्रयास शैक्षणिक गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि का रहा है। हम अपने तमाम अभिभावकों को आश्वस्त करना चाहतें हैं कि महाविद्यालय इंटरमीडिएट की तरह हीं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी जल्द ही अपना विशिष्ट स्थान प्राप्त करने में सफल होगा। अपने कर्मठ एवं विद्वान शिक्षकों की टीम के सहयोग से महाविद्यालय सदैव से परिणाम उन्मुखी शिक्षा जो भविष्य में छात्र छात्राओं के उत्तरोत्तर विकास में सहायक हो साथ ही रोजगारोन्मुखी भी हो, के प्रति निष्ठापूर्वक संलग्न है। हमारा प्रयास आने वाले समय मे छात्रों के भरोसे और अभिभावकों के परस्पर विश्वास को और आगे ले जाने का है।